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हमारी हिंदी कमजोर हो सकती है, लेकिन हिंदी से नफरत नहींः आंदोलनकारी मराठा आंदोलनकारियों की गाड़ियों में लगे बैनर हिंदी में लिखे गए थे और उन्हें हिंदी में नारेबाजी करते हुए भी देखा गया। राज्य के विभिन्न जिलों से मुंबई आए मराठा आंदोलनकारियों ने हिंदी में बातचीत करते हुए हिंदी में लिखे पोस्टर की ओर इशारा भी किया। मराठा समाज के लोगों ने कहा कि हमारी हिंदी कमजोर है, लेकिन हिंदी से नफरत नहीं है।
मराठा आरक्षण की मांग के लिए आंदोलन करने मुंबई आए मराठा आंदोलनकारी नवी मुंबई के अलग अलग स्थान पर ठहरे हुए थे। उनकी गाड़ियों में हिंदी में लगे पोस्टर दिखाई दिए। उनकी टोपी पर भी हिंदी में लिखा था `हम सब जरांगे'। गाड़ियों में लगे बैनरों पर लिखा था `चलो मुंबई' और हिंदी में ही लिखा गया था कि `हुजूर मराठे आ रहे हैं'। इस पर जब उनसे पूछा गया कि हिंदी लिखने पर यहां कोई रोक-टोक तो नहीं है, तो उन्होंने जवाब दिया कि हमारी हिंदी कमजोर हो सकती है, लेकिन हमें हिंदी से परहेज नहीं है। आंदोलन में शामिल दीपक पाटील ने कहा कि मुंबई में हर प्रांत के लोग रहते हैं और यहां पर हर भाषा बोली जाती है। जीतू कोल्हे और सुनील अहिरे ने कहा कि मराठा समाज की जीत हुई है और इसके लिए मराठा समाज के साथ-साथ अन्य राज्यों सहयोग मिला है।
